भारत के यशस्वी अतीत को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास
बंसी गीर गौशाला की स्थापना इ.स. २००६ में भारत की प्राचीन वैदिक
संस्कृति को पुनर्जीवित करने और पुनः स्थापित करने के प्रयास के रूप में श्री गोपालभाई
सुतरिया द्वारा की गई थी। वैदिक परंपराओं में, ‘गाय’ को दिव्य माता - गोमाता के रूप
में देखा जाता था, जो स्वास्थ्य, ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
उनके आशीर्वाद
के साथ, बंसी गीर गौशाला, भारत की प्राचीन वैदिक ‘गोसंस्कृति’ को पुनर्जीवित करने के
लिए एक जीवित प्रयोगशाला के रूप में काम कर रही है, और आधुनिक जीवन के सभी पहलुओं में
वैदिक दृष्टिकोणों का परीक्षण करती है, चाहे वह पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि या व्यवसाय
ही क्यों न हो।(और पढो)


बंसी
गीर गौशाला इतनी खास क्यों है ?
पारंपरिक गोपालन
७०० से अधिक गौमाता और नंदी, जो गीर नस्ल के १८ विभिन्न गोत्र से आते हैं। गीर
को सर्वश्रेष्ठ भारतीय गौमाता नस्लों में से एक माना जाता है।
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अहिंसक
हम दूध प्राप्त करने के लिए प्राचीन भारतीय गैर-शोषणकारी पद्धति ‘दोहन’ का पालन करते हैं, जो पूर्ण वैदिक और सांस्कृतिक प्रणाली से प्रेरित है।
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गोवेद
गोपालन
और आयुर्वेद के बीच तालमेल को देखते हुए, हम ‘स्वस्थ नागरिक, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ
भारत’ के अपने उद्देश्य के अनुरूप प्रभावशाली आयुर्वैदिक औषधियाँ बनाते हैं।
(और पढो))
कृषि
गोपालन और कृषि के बीच तालमेल को उजागर करना, किसानों को जैविक खेती में सामग्री और ज्ञान के साथ मदद करना।
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शिक्षा
वैदिक परंपराओं में गौमाता को गुरुमाता और प्रकाश का स्रोत माना जाता है। हमारा गुरुकुल गोपालन और शिक्षा के बीच तालमेल का लाभ उठाता है, और हमें इसमें उत्साहजनक परिणाम भी प्राप्त हुए हैं।
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बंसी
गीर गौशाला इतनी खास क्यों है ?
७०० से अधिक गौमाता और नंदी, जो गीर नस्ल के १८ विभिन्न गोत्र से आते हैं। गीर
को सर्वश्रेष्ठ भारतीय गौमाता नस्लों में से एक माना जाता है।
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अहिंसक
हम दूध प्राप्त करने के लिए प्राचीन भारतीय गैर-शोषणकारी पद्धति ‘दोहन’ का पालन करते हैं, जो पूर्ण वैदिक और सांस्कृतिक प्रणाली से प्रेरित है।
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गोवेद
गोपालन और आयुर्वेद के बीच तालमेल को देखते हुए, हम ‘स्वस्थ नागरिक, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ भारत’ के अपने उद्देश्य के अनुरूप प्रभावशाली आयुर्वैदिक औषधियाँ बनाते हैं।
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कृषि
गोपालन और कृषि के बीच तालमेल को उजागर करना, किसानों को जैविक खेती में सामग्री और ज्ञान के साथ मदद करना।
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शिक्षा
वैदिक परंपराओं में गौमाता को गुरुमाता और प्रकाश का स्रोत माना जाता है। हमारा गुरुकुल गोपालन और शिक्षा के बीच तालमेल का लाभ उठाता है, और हमें इसमें उत्साहजनक परिणाम भी प्राप्त हुए हैं।
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हमारे संस्थापक - श्री गोपालभाई सुतारिया
हमारे संस्थापक श्री गोपालभाई सुतरिया ने अपना जीवन भारत की गोसंस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए समर्पित किया है। अपने आध्यात्मिक गुरुजी श्री परमहंस हंसानंदतीर्थ दंडीस्वामी के प्रभाव में, अपने जीवन में प्रारंभिक समय से वह राष्ट्र और मानवता की सेवा करने के लिए जीवन बिताने के अभिलाषी थे। वे इ.स. २००६ में अहमदाबाद आए और बंसी गीर गौशाला की स्थापना की। गोपालभाई के प्रयासों
के परिणामस्वरूप बंसी गीर गौशाला गौपालन और गौकृषि के क्षेत्र में
एक आदर्श बन गई है।
‘स्वस्थ नागरिक, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ भारत’ के उद्देश्य से, बंसी गीर गौशाला आयुर्वैदिक उपचार के क्षेत्र में प्रभावशाली
अनुसंधान और निर्माण का कार्य भी कर रही है।


Bansi Gir Gaushala - Yojana

नंदी गीर योजना
भारतीय गीर नस्ल को मजबूत करने के लिए गौशाला इस योजना के तहत भारत में अन्य विश्वसनीय गौशालाओं और गाँवों को नंदी प्रदान करती है।
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जिंजवा घास योजना
जिंजवा
घास भारतीय गौवंश को बहुत प्रिय है। किसानों के लिए बंसी गीर गौशाला मुफ्त में जिंजवा
घास के बीज की व्यवस्था करती है। ५००० से भी अधिक किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया
है।
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जैविक खेती
भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रतिदिन किसान बंसी गीर गौशाला
देखने आते हैं और गोपालन और जैविक खेती का ज्ञान प्राप्त करते हैं।
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गौ कृपा अमृतम बकटेरियल कल्चर
Go-Krupa Amrutam bacterial culture is developed by Bansi Gir Gaushala from panchgavya products and completely natural & Ayurvedic herbs. It is a result of our extensive research and experimentation. (
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Affiliation

710+
Gaumatas
5+
Activites
70+
Gopalak
17
Acre
Area of Gaushala