
हमारी गतिविधियाँ - जो हमें विशेष बनाती है
१) आदर्श गोपालन
गैर-शोषणकारी संबंध - हम नंदी या वृद्ध गौमाता का साथ कभी नहीं छोड़ते। हम कभी भी गौमाता को दिए जाने वाले भोजन और पानी की गुणवत्ता या मात्रा पर कोई समझौता नहीं करते हैं, भले ही वह कितना भी दूध दे। हमारी प्रथाएं प्रकृति के अनुरूप हैं। हम प्रजनन के लिए या दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान या हार्मोन उपचार का उपयोग कभी नहीं करते हैं। हमारे पास गौमाता की देखभाल के लिए ३६ गोपालकों का एक अनुभवी कार्यबल है।
अहिंसक -हम ‘दोहन’ की प्राचीन भारतीय परंपरा का पालन करते हैं, जिसके अनुसार बछड़ा दो आंचल से दूध पीने के लिए स्वतंत्र है, और शेष दो आंचल का उपयोग मनुष्यों सहित अन्य प्राणियों के लिए दूध प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
आयुर्वेद का उपयोग - स्वास्थ्य और
जीवनशक्ति बढ़ाने के लिए विभिन्न आयुर्वैदिक जड़ी बूटियों को मौसम और ऋतु के आधार पर गौमाता के भोजन में मिलाया जाता है। जहां तक संभव हो, बीमार गौमाता का इलाज भारतीय आयुर्वैदिक प्रणाली का उपयोग करके किया जाता है, और आधुनिक चिकित्सा का उपयोग कम से कम किया जाता है।

जैविक आहार - हमारे पास ४ लाख गज से अधिक खुली चराई की जगह है जिसका पोषण जैविक खाद द्वारा किया जाता है। हमारे शोध और अवलोकन के अनुसार गौमाता जिंजुआ किस्म की घास को
पसंद करती है। यह घास अन्य व्यावहारिक लाभों के साथ, पोषण और औषधीय मूल्य में समृद्ध है। एक बार लगाए जाने के बाद, यह घास ३० से अधिक वर्षों तक भूमि नहीं छोड़ती है, और यह हर २० दिनों में २ से २.५ फीट तक बढ़ती है। अपनी ‘जिंजुआ घास योजना’ के तहत, हम किसानों के लिए मुफ्त जिंजुआ घास के बीज की व्यवस्था करते हैं। अब तक ५००० से अधिक किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया है। हमारी खरीदी गई फ़ीड गैर-जीएमओ और जहां तक संभव हो जैविक होती है।
वैदिक अनुष्ठान और संगीत - गौशाला अपने दिव्य वातावरण की पवित्रता को बनाए रखने के लिए दैनिक वैदिक हवन करती है। भक्ति संगीत और संस्कृत मंत्र भी हर दिन पृष्ठभूमि में बजाए जाते हैं, जो गौमाता को आनंदित और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
नंदी गीर योजना - हम भारतीय गौमाता की नस्ल को मजबूत करने के लिए नंदी को समग्र भारत में विश्वसनीय गौशाला और गांवों में प्रजनन के लिए देते हैं। हम कभी गौमाता या नंदी की बिक्री नहीं करते हैं, लेकिन नंदी को सीमित अवधि के लिए आमतौर पर ३ साल तक देते हैं।
२) आयुर्वैदिक दवाएं
हमने औषधीय और साथ ही पंचगव्य आधारित अवयवों के संयोजन का उपयोग करके आयुर्वैदिक दवाओं की एक विस्तृत शृंखला विकसित की है। आयुर्वेद में, घी और गोमूत्र को प्राकृतिक जैव-संवर्धक के रूप में वर्णित किया जाता है, इन दो अवयवों के साथ संसाधित या सेवन की जाने वाली दवाओं के अवशोषण और प्रभावशीलता में महत्त्वपूर्ण बढ़ावा होता है। खांसी, हार्मोनल असंतुलन, अस्थमा और कैंसर जैसी कई तरह की बीमारियों में हमने अपने घी और गोमूत्र आधारित दवाओं के उपयोग से उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किए हैं।
मुफ्त आयुर्वैदिक परामर्श - आम जनता के लिए हमारी गौशाला में एक मुफ्त आयुर्वैदिक निदान और उपचार क्लिनिक है। हमने कई तरह की बीमारियों में अपने उपचार से बहुत उत्साहजनक परिणाम प्राप्त किए हैं।

३) कृषि
जैविक खेती - विश्व में हर साल
सिंथेटिक खाद और कीटनाशक दवाओं की सब्सिडी पर अरबों डॉलर खर्च होते है। इसके परिणामस्वरूप, विषाक्त रसायन हमारे भोजन में प्रवेश करते हैं जिससे स्वास्थ्य की समस्याएं उत्पन्न होती हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर और भी अधिक खर्च होता है। हमारा मानना है कि कृषि उत्पादन के लिए प्राकृतिक तरीकों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता है। एक उदाहरण के रूप में, हमारे अनुसन्धान के अनुसार छाछ, गौमूत्र और पानी का एक प्रोबायोटिक संयोजन यूरिया की तुलना में तेजी से परिणाम देता है, और यह पौधे की प्रतिरक्षा और विकास में सुधार करता है। गोमय (गौमाता का गोबर) आधारित खाद आगे चलकर कृषि उत्पादकता को बढ़ा सकती है और जैविक खेती को बनाए रख सकती है। वैदिक काल में भारतीय किसान गोपालन और कृषि के बीच तालमेल का पूरा फायदा उठाते थे।
हम हर साल
अनेक किसानों के साथ काम करते हैं और उन्हें सामग्री (जैसे तरल प्रोबायोटिक) और ज्ञान
प्रदान करते हैं। जैविक खेती का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हर दिन भारत भर से किसान
हमारी गौशाला में आते हैं।
सूर्यन ऑर्गेनि बंसी गीर गौशाला के आदर्शों से प्रेरित उद्यम है। इसका उद्देश्य आहार के विषय में लोगों की सोच को बदलना है। सूर्यन ऑर्गेनिक का उद्देश्य किसानों को नए उत्पादों और विपणन के साथ अपने व्यवसाय को विकसित करने में मदद करना भी है।
४) शिक्षा
गोमाता को ‘गुरुमाता’ भी कहा जाता है, और संस्कृत में ‘गो’ शब्द का अर्थ ‘प्रकाश’ भी होता है। भारत के प्राचीन वैदिक विचारों को शिक्षा के क्षेत्र में लागू करने के हमारे प्रयास में, हमने अपने गौशाला परिसर में ‘गोतीर्थ विद्यापीठ’ गुरुकुल की स्थापना की, जहाँ बच्चों को प्राचीन वैदिक परंपराओं के आधार पर शिक्षित किया जाता है। हमने वैदिक शिक्षा और गौमाता आधारित पोषण का उपयोग करके अपने बच्चों की बौद्धिक और शारीरिक क्षमताओं में उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किए। यहां छात्र अन्य विषयों के साथ वैदिक गणित, गोपालन, कृषि, योग, आयुर्वेद और संगीत सीखते हैं। यहां शैक्षिक वातावरण प्राचीन ‘गुरु-शिष्य परम्परा’ के अनुरूप है, और कई छात्र परिसर में ही रहते हैं।
